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गुलाब (Rose) की खेती कैसे करे | Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

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गुलाब की खेती कैसे करे | Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi - गुलाब का फूल सभी के मन को भाता है। आप जानते है Gulab ki kheti कब होती है। Rose ki kheti kaise kare ऐसे पहुत से प्र्शन है जिसका जवाब हम देने वाले है Gulab Ki Kheti ki jankari के लिए आप हमारे साथ Kheti Business पर बने रहे।

Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

गुलाब की खेती बहुत पहले से पूरी दुनिया में की जाती है।  इसकी खेती पूरे भारतवर्ष में व्यवसायिक रूप से की जाती है।  गुलाब के फूल डाली सहित या कट फ्लावर तथा पंखुड़ी फ्लावर दोनों तरह के बाजार में व्यापारिक रूप से पाये जाते है।  गुलाब की खेती देश व् विदेश निर्यात करने के लिए दोनों ही रूप में बहुत महत्वपूर्ण है।  गुलाब को कट फ्लावर, गुलाब जल, गुलाब तेल, गुलकंद आदि के लिए उगाया जाता है।  गुलाब की खेती मुख्यतः कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्रा, बिहार, पश्चिम बंगाल ,गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू एवं कश्मीर, मध्य प्रदेश, आंध्रा प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में अधिक की जाती है। 


जलवायु और भूमि

गुलाब की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता होती है ?

गुलाब की खेती उत्तर एवं दक्षिण भारत के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में की जाती हैI दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तथा रात का तापमान 12 से 14 डिग्री सेंटीग्रेट उत्तम माना जाता हैI गुलाब की खेती हेतु दोमट मिट्टी तथा अधिक कार्बनिक पदार्थ वाली होनी चाहिएI जिसका पी.एच. मान 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है। 

गुलाब (Gulab) की प्रमुख प्रजातियाँ

कौन-कौन सी उन्नतशील प्रजातियां है गुलाब की ?

गुलाब की लगभग 6 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है प्रथम संकर प्रजातियां जिसमे कि क्रिमसन ग्लोरी, मिस्टर लिंकन, लवजान, अफकैनेडी, जवाहर, प्रसिडेंट, राधाकृषणन, फर्स्ट लव , पूजा, सोनिया, गंगा, टाटा सैंटानरी, आर्किड, सुपर स्टार, अमेरिकन हेरिटेज आदि हैI दूसरे प्रकार कि पॉलीएन्था इसमे अंजनी, रश्मी, नर्तकी, प्रीत एवं स्वाती आदि।  तीसरे प्रकार कि फ़लोरीबण्डा जैसी कि बंजारन, देहली प्रिंसेज, डिम्पल, चन्द्रमा, सदाबहार, सोनोरा, नीलाम्बरी, करिश्मा सूर्यकिरण आदिI चौथे प्रकार कि गैंडीफलोरा इसमे क्वींस, मांटेजुमा आदि।  पांचवे प्रकार कि मिनीपेचर ब्यूटी क्रिकेट, रेड फ्लस, पुसकला, बेबीगोल्ड स्टार, सिल्वर टिप्स आदि और अंत में छठवे प्रकार कि लता गुलाब इसमे काक्लेट, ब्लैक बॉय, लैंड मार्क, पिंक मेराडोन, मेरीकलनील आदि पाई जाती है। 


गुलाब (Gulab) के खेत की तैयारी

गुलाब की खेती करने के लिए लेआउट किस प्रकार से तैयार करते है और खेतो की तैयारी किस प्रकार करे ?

Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Gulab Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

सुंदरता की दृष्टि से औपचारिक लेआउट करके खेत को क्यारियो में बाँट लेते है क्यारियो की लम्बाई चौड़ाई 5 मीटर लम्बी 2 मीटर चौड़ी रखते है।  दो क्यारियो के बीच में आधा मीटर स्थान छोड़ना चाहिएI क्यारियो को अप्रैल मई में एक मीटर की गुड़ाई एक मीटर की गहराई तक खोदे और 15 से 20 दिन तक खुला छोड़ देना चाहिए।  क्यारियो में 30 सेंटीमीटर तक सूखी पत्तियो को डालकर खोदी गयी मिट्टी से क्यारियो को बंद कर देना चाहिए साथ ही गोबर की सड़ी खाद एक महीने पहले क्यारी में डालना चाहिए इसके बाद क्यारियो को पानी से भर देना चाहिए साथ ही दीमक के बचाव के लिए फ़ालीडाल पाउडर या कार्बोफ्यूरान 3 जी. का प्रयोग करे। लगभग 10 से 15 दिन बाद ओठ आने पर इन्ही क्यारियो में कतार बनाते हुए पौधे व् लाइन से लाइन की दूरी 30 गुने 60 सेंटीमीटर राखी जाती है  इस दूरी पर पौधे लगाने पर फूलो की डंडी लम्बी व् कटाई करने में आसानी रहती है। 

गुलाब (Gulab) की पौधशाला

गुलाब की खेती करने के लिए पौध तैयार किस तरह से करे ?

जंगली गुलाब के ऊपर टी बडिंग द्वारा इसकी पौध तैयार होती है।  जंगली गुलाब की कलम जून-जुलाई में क्यारियो में लगभग 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगा दी जाती हैI नवम्बर से दिसंबर तक इन कलम में टहनियां निकल आती है इन पर से कांटे चाकू से अलग कर दिए जाते है।  जनवरी में अच्छे किस्म के गुलाब से टहनी लेकर टी आकार कालिका निकालकर कर जंगली गुलाब की ऊपर टी में लगाकर पालीथीन से कसकर बाँध देते हैI ज्यो-ज्यो तापमान बढता है तभी इनमे टहनी निकल आती हैI जुलाई अगस्त में रोपाई के लिए पौध तैयार हो जाती है। 


गुलाब (Gulab) का पौधरोपण

गुलाब की खेती में पौधों की रोपाई किस प्रकार करते है ?

पौधशाला से सावधानीपूर्वक पौध खोदकर सितम्बर-अक्टूबर तक उत्तर भारत में पौध की रोपाई करनी चाहिएI रोपाई करते समय ध्यान दे कि पिंडी से घास फूस हटाकर भूमि की सतह से 15 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर पौधों की रोपाई करनी चाहिए।  पौध लगाने के बाद तुरंत सिंचाई कर देना चाहिए। 

पोषण प्रबंधन

खाद और उर्वरको की आवश्यकता किस प्रकार पड़ती है गुलाब की खेती में ?

उत्तम कोटि के फूलो की पैदावार लेने के हेतु प्रूनिंग के बाद प्रति पौधा 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिलाकर सिंचाई करनी चाहिएI खाद देने के एक सप्ताह बाद जब नई कोपल फूटने लगे तो 200 ग्राम नीम की खली 100 ग्राम हड्डी का चूरा तथा रासायनिक खाद का मिश्रण 50 ग्राम प्रति पौधा देना चाहिए।  मिश्रण का अनुपात एक अनुपात दो अनुपात एक मतलब यूरिया, सुपर फास्फेट, पोटाश का होना चाहिए। 


जल प्रबंधन

सिंचाई के लिए क्या तरीके अपनाये ?

गुलाब के लिए सिंचाई का प्रबंधन उत्तम होना चाहिएI आवश्यकतानुसार गर्मी में 5 से 7 दिनों के बाद तथा सर्दी में 10 से 12 दिनों के बाद सिंचाई करते रहना चाहिए। 

खरपतवार प्रबंधन

गुलाब के पौधों की कटाई छटाई यानी कि प्रूनिंग किस प्रकार करे ?

उत्तर प्रदेश के मैदानी भागो में कटाई-छटाई हेतु अक्टूबर का दूसरा सप्ताह सर्वोत्तम होता है लेकिन उस समय वर्षा नहीं होनी चाहिए।  पौधे में तीन से पांच मुख्य टहनियों को 30 से 40 सेंटीमीटर रखकर कटाई की जाती हैI यह ध्यान रखना चाहिए कि जहाँ आँख हो वहाँ से 5 सेंटीमीटर ऊपर से कटाई करनी चाहिए।  कटे हुए भाग को कवकनाशी दवाओ से जैसे कि कापर आक्सीक्लोराइड, कार्बेन्डाजिम, ब्रोडोमिश्रण या चौबटिया पेस्ट का लेप लगना आवश्यक होता है। 


रोग प्रबंधन

गुलाब के फूलो में कौन-कौन से रोग लगने की सम्भावना रहती है और उसकी रोकथाम के लिए हमें क्या उपाय करने चाहिए ?

गुलाब में पाउडरी मिल्ड्यू या खर्रा रोग, उलटा सूखा रोग लगते हैI खर्रा रोग को रोकने हेतु गंधक दो ग्राम प्रति लीटर पानी में या डायनोकॉप एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में या ट्राइकोडर्मा एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव दवा अदल-बदल कर करना चाहिए।  सूखा रोग की रोकथाम हेतु 50 प्रतिशत कापर आक्सीक्लोराइड को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए जिससे सूखा रोग न लग सके।



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कीट प्रबंधन

गुलाब की फसल में कौन-कौन से कीट लगते है ?

गुलाब में माहू, दीमक एवं सल्क कीट लगते है।  माहू तथा सल्क कीट के दिखाई देने पर तुरंत डाई मिथोएट 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में या मोनोक्रोटोफास 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर 2 -3 छिड़काव करना चाहिए।  दीमक के नियंत्रण हेतु सिंचाई करनी चाहिए तथा फोरेट 10 जी. 3 से 4 ग्राम या फ़ालीडाल 2% धुल 10 से 15 ग्राम प्रति पौधा गुड़ाई करके भूमि में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। 

फसल कटाई

गुलाब की खेती में जब फूल तैयार हो जाते है तब उनकी कटाई किस प्रकार करते है ?

सफ़ेद, लाल, गुलाबी रंग के फूलो की अध् खुली पंखुड़ियों में जब ऊपर की पंखुड़ी नीचे की ओर मुड़ना शुरू हो जावे तब फूल काटना चाहिए।  फूलो को काटते समय एक या दो पत्तियां टहनी पर छोड़ देना चाहिए जिससे पौधों की वहाँ से बढ़वार होने में कोइ परेशानी न हो सके।  फूलो की कटाई करते समय किसी बर्तन में पानी साथ में रखना चाहिए जिससे फूलो को काटकर पानी तुरंत रखा जा सकेI बर्तन में पानी कम से कम 10 सेंटीमीटर गहरा अवश्य होना चाहिए जिससे फूलो की डंडी पानी में डूबी रहे पानी में प्रिजर्वेटिव भी मिलाते हैI फूलो को कम से कम 3 घंटे पानी में रखने के बाद ग्रेडिंग के लिए निकालना चाहिए।  यदि ग्रेडिंग देर से करनी हो तो फूलो को 1 से 3 डिग्रीसेंटीग्रेट तापक्रम पर कोल्ड स्टोरेज रखना चाहिए जिससे कि फूलो की गुणवत्ता अच्छी रह सके। 


पैदावार

गुलाब की खेती से फूलो की उपज प्रति हेक्टेयर कितनी मात्रा प्राप्त हो जाती है ?

गुलाब की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति फसल की देखरेख एवं प्रजातियों पर निर्भर करती हैI फिर भी आमतौर पर लगभग 200 से 250 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती हैI यह उपज पूरे साल में कट फ्लावर से मिलती है। 

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