-->

कपास की खेती कैसे करे। Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

0

कपास की खेती कैसे करे। Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi - कपास की खेती (Kapas Ki Kheti) करने के लिए सभी किसान भाईओ का Kheti Business में स्वागत है। अगर आप भी Kapas Ki Kheti Ki Jankari जानना चाहते है तो बिलकुल सही जगह आये है। साथ ही हम ये भी बतायेगे की Kapas Ki Kheti Kaha Hoti Hai और किस प्रकार मौसम की आवश्कता होती है। 

Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है।  व्यावसायिक रूप से यह स्वेत स्वर्ण के नाम से जानी जाती है।  देश में व्यापक स्तर पर कपास उत्पादन की आवश्यकता है, बिनौलो की खली व् तेल का व्यापक उपयोग है, प्रदेश को लगभग पांच लाख रूई की गांठो प्रतिवर्ष आवश्यकता पड़ती है आधुनिक तकनीकी अपनाकर अधिक से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है


 Kapas Ki Kheti की प्रमुख प्रजातियाँ

कपास की खेती के बारे में उन उन्नतशील प्रजातियों के बारे में हमारे किसान भईयो को बताईये जिसका इस्तेमाल खेती करते वक्त करे ?

कपास की खेती के लिए दो प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती है देशी प्रजातियाँ जैसे की लोहित, आर. जी. 8 एवम सी. ए. डी. 4 है।  दूसरे प्रकार की अमेरिकन प्रजातियाँ है जिसमे की एच. एस. 6 , विकाश, एच 777 ,एफ 846 , आर. एस. 810 एवम आर. एस. 2013 पाई जाती है।

गुलाब की खेती कैसे करे पूरी जानकारी जाने 

 Kapas Ki Kheti के लिए उपयुक्त भूमि

कपास की खेती के लिए किस प्रकार के जलवायु एवम भूमि उपयुक्त होनी चाहिए?


Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

उत्तम जमाव हेतु न्यूनतम १६ डिग्री सेंटीग्रेट तापमान, फसल बढ़वार के समय २१ से २७ डिग्री सेंटीग्रेट तापमान एवम उपयुक्त फसल हेतु २७ से ३२ डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की अलग- अलग आवश्यकता पड़ती है, गूलरो के पकते समय चमकीली धूप व् पाला रहित ऋतू  की आवश्यकता होती है।  सभी भूमियो में सफलतापूर्वक  खेती की जा सकती है लेकिन बलुई, क्षारीय, कंकड़युक्त एवम जल भराव वाली भूमि में कपास की खेती के लिए उनुपयुक्त है दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है।



 Kapas Ki Kheti के लिए खेत की तैयारी

कपास की फसल के किस प्रकार से आपने खेतो को तैयार करे ?

खेत को पलेवा करके पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी जुताई करनी चाहिए यदि आवश्कता पड़े तो दुबारा पलेवा करके ओठ आने पर देशी हल या कल्टीवेटर से तीन चार जुताई करके खेत को अच्छी तरह भुरभुरा बनाकर खेत को समतल करने के बाद ही बुवाई करनी चाहिए



 Kapas Ki Kheti के लिए बीज बुवाई

कपास की बुवाई में बीज की मात्रा प्रति हैक्टर कितनी लगती है तथा बीजो का शोधन हमारे किसान भी किस प्रकार करे ?

कपास में प्रजातियों के आधार पर बीजदर अलग अलग मात्रा में डाली जाती है

(अ) देशी प्रजातियों में 15 किग्रा प्रति हैक्टर (रेशा रहित )मात्रा पड़ती है
(ब) अमेरिकन प्रजातियों में 20 किग्रा प्रति हैक्टर (रेशा रहित )मात्रा पड़ती है

हल्दी की खेती कैसे करे पूरी जानकारी पढ़े 

बीज शोधन हेतु जब बीज का रेशा अलग करने के लिए सान्द्र गंधक अम्ल रसायन द्वारा हटाकर के बीजो को साफ पानी में अच्छी धुलाई कारने के बाद अच्छी तरह छाया में सुखाने के बाद बीज शोधन किया जाता है छाया में सूखे हुए बीज को कार्बेन्डाजिम या कार्बाक्सी फफूंदी नाशक को2.5 ग्राम प्रति किग्रा की दर से लगाकर बीज शोधित किया जा सकता है।

कपास की खेती में कौन सा समय अच्छा रहता है बुवाई के लिए और किस विधि से बुवाई करनी चाहिए ?

कपास की बुवाई का समय प्रजातियो के आधार पर अलग अलग होता है। देशी प्रजातियो की बुवाई अप्रैल के प्रथम पखवारे से दुसरे पखवारे तक की जाती है। अमेरिकन प्रजातियों की बुवाई मध्य अप्रैल से मई के प्रथम सप्ताह तक की जाती है। बुवाई सामान्यता हल के पीछे कुडों में की जाती है कूडो में बुवाई करने पर लाइन से लाइन की दूरी 70 सेमी० तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी० रखी जाती है बुवाई में एक स्थान पर केवल 4 से 5 बीज ही प्रयोग करें।



 Kapas Ki Kheti का पोषण प्रबंधन

कपास की फसल में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग कैसे करे और कितनी मात्रा में करे ?

खाद एवं उर्वरको का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करनी चाहिए यदि मृदा में कार्बनिक पदार्थो की कमी हो तो खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई में कुछ मात्रा गोबर की खाद सड़ी खाद में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए इसके साथ साथ 60 किलो ग्राम नाइट्रोजन तथा 30 किलो ग्राम फास्फोरस तत्व के रूप में प्रयोग करना चाहिए तथा पोटाश की संस्तुत नहीं की गई है नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस की पूरी मात्रा का प्रयोग खेत तैयारी के समय आखिरी जुताई पर करना चाहिए शेष नाइट्रोजन की मात्र का प्रयोग फूल प्रारम्भ होने पर व आधिक फूल आने पर जुलाई माह में दो बार में प्रयोग करना चाहिए।

 Kapas Ki Kheti का खरपतवार प्रबंधन

कपास की फसल में निराई गुड़ाई कब करे हमारे किसान भी और खरपतवारो पर किस प्रकार  नियंत्रण करे ?

पहली सूखी निराई गुड़ाई पहली सिचाई अर्थात 30 से 35 दिन से पहले करनी चाहिए इसके पश्चात फसल बढ़वार के समय कल्टीवेटर द्वारा तीन चार बार आड़े बेड़े गुड़ाई करनी चाहिए फूल व गूलर बनने पर कल्टीवेटर से गुड़ाई नहीं करनी चाहिए इन अवस्थाओ में खुर्पी द्वारा खरपतवार गुड़ाई करते हुए निकलना चाहिए जिससे की फूलो व गुलारो को गिरने से बचाया जा सके।

कपास की छटाई कब और कैसे करनी चाहिए ?

अत्यधिक व असामयिक वर्षा के कारण सामान्यता पौधों की ऊंचाई 1.5 मीटर से अधिक हो जाती है जिससे उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तो 1.5 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले पौधों की ऊपर वाली सभी शाखाओ की छटाई, सिकेटियर या  (कैची) के द्वारा कर देना चाहिए इस छटाई से कीटनाशको के छिडकाव में आसानी रहती है।


Kapas Ki Kheti का रोग प्रबंधन

कपास की फसल में कौन कौन से रोग लगते है और उनका नियंत्रण हम किस प्रकार करे ?

कपास में शाकाणु झुलसा रोग (बैक्टीरियल ब्लाइट) तथा फफूंदी जनित रोग लगते है, इनके बचाव के लिए खड़ी फसल में वर्षा प्रारम्भ होने पर 1.25 ग्राम  कापरआक्सीक्लोराईड 50% घुलनशील चूर्ण व् 50 ग्राम एग्रीमाईसीन या 7.5 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लीन प्रति हेक्टर  की दर से 600 -800 लीटर पानी में घोलकर दो छिडकाव 20 से 25 दिन के अन्तराल पर करना चाहिए साथ ही उपचारित बीजो का ही बुवाई हेतु प्रयोग करना चाहिए।

खेती क्या है और कैसे करे पूरी जानकारी जाने 

 Kapas Ki Kheti का कीट प्रबंधन

कपास की फसल में कौन कौन से कीट लगने की संभावना रहती है और उन पर किस तरह से हम नियंत्रण कर सकते है ?

कपास की फसल पर कई तरह के कीटो द्वारा नुकसान पहुचाया जाता है जैसे की हरा फुदका या जैसिड, सफ़ेद मख्खी माहू ,तेला,मिस्सी या थ्रिप्स एवं गूलर भेदक भी लगते है इनके नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास 25 ई.सी.1.25 लीटर गूलर भेद कीट हेतु ट्रायकोफास 40 ई. सी. 1.50 लीटर सफ़ेद मख्खी हेतु रसायन 250 से 300 लीटर पानी में घोलकर नेपसेक मशीन से प्रति हेक्टर छिडकाव करना चाहिए अन्य किसी भी कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है।

 Kapas Ki Kheti की फसल कटाई

जब फसल तैयार हो जाती है तो उसकी चुनाई एवं भण्डारण कैसे करे ?

कपास की चुनाई प्रजातियों के अनुसार की जाती है चुनाई सुबह की ओस हटने के बाद ही पूर्ण खिले हुए गुलारो से  करनी चाहिए देशी कपास की चुनाई 8 से 10 दिन के अन्तराल पर  तथा अमेरिकन कपास की चुनाई 15 से 20 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिएI  कीट ग्रसित कपास की चुनाई अलग करना चाहिए कपास के साथ में पत्तियों आदि नहीं रहनी चाहिए 


कपास साफ सुथरी रखनी चाहिए कपास का भण्डारण करने से पहले चुनी गई कपास को अच्छी तरह से सुखा लेनी चाहिए इसके साथ साथ भण्डारण गृह भी अच्छी तरह से सुखा होना चाहिए भण्डारण गृह में चूहों का प्रकोप नहीं होना चाहिए अच्छी तरह सुखी कपास को भण्डार में रखना चाहिए।

 Kapas Ki Kheti की पैदावार

कपास की फसल से प्रति हेक्टर कितनी पैदावार प्राप्त हो सकती है ?

Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Kapas Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

कपास की उपज प्रजातियों के आधार पर अलग अलग पाई जाती है - देशी कपास में 15-16 क्विंटल प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती है तथा अमेरिकन कपास में 12-15 कुन्तल प्रति हेक्टर उपज प्राप्त होती है। 

भारत का नंबर 1 कृषि पोर्टल जहा पर सभी जानकारी एक क्लिक पर आप की पसंद हमारी मेहनत खेती बिज़नेस 
Tags

Post a Comment

0Comments

Please do not any spam in the comment box.

Post a Comment (0)