-->

सूरजमुखी की खेती कैसे करे। Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

0

सूरजमुखी की खेती कैसे करे। Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare - दोस्तों आज की पोस्ट में हम आप को Surjmukhi Ki Khet के बारे में पूरी जानकारी देंगे जैसे Surajmukhi ki kheti kaise hoti hai, Surajmukhi ki kheti kab kare, Surajmukhi ki fasal, Surajmukhi ki jankari, Sunflower सब हिंदी में मिलने वाली है। आप हमारे साथ बने रहे Kheti Business पर। 

Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी, एवं जायद तीनो ही मौसम में की जा सकती है, लेकिन खरीफ में इस पर अनेक रोगों एवं कीटो का प्रकोप होने के कारण फूल छोटे होते है, तथा दाना कम पड़ता है।  जायद में सूरजमुखी की अच्छी उपज प्राप्त होती हैI इस कारण जायद में ही इसकी खेती ज्यादातर की जाती है। 


Surjmukhi Ki Kheti के लिए उपयुक्त भूमि

सूरजमुखी की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता पड़ती है?

सूरजमुखी की खेती खरीफ रबी जायद तीनो मौसम में की जा सकती हैI फसल पकते समय शुष्क जलवायु की अति आवश्यकता पड़ती है। सूरजमुखी की खेती अम्लीय एवम क्षारीय भूमि को छोड़कर सिंचित दशा वाली सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है, लेकिन दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है।

Surjmukhi की प्रमुख प्रजातियाँ

उन्नतशील प्रजातियाँ कौन कौन सी होती है, जिन्हें हमें खेत में बोना चाहिए?

Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

इसमे मख्य रूप से दो प्रकार की प्रजातियाँ पायी जाती है। एक तो सामान्य या संकुल प्रजातियाँ इसमे मार्डन और सूर्य पायी जाती हैI दूसरा संकर प्रजातियाँ इसमे के बी एस एच-1 और एस एच 3322 एवं ऍफ़ एस एच-17 पाई जाती है।

Surjmukhi की खेत की तैयारी

सूरजमुखी की फसल के लिए खेतो की तैयारी हमारे किसान भाई किस प्रकार करें?

खेत की तयारी में जायद के मौसम में प्राप्त नमी न होने पर खेत को पलेवा करके जुताई करनी चाहिए। एक जुताई मिटटी पलटने वाले हल से तथा बाद में 2 से 3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करनी चाहिए मिटटी भुरभुरी कर लेना चाहिए, जिससे की नमी सुरक्षित बनी रह सके।


जायद में सूरजमुखी की बुवाई का सर्वोत्तम समय फरवरी का दूसरा पखवारा है इस समय बुवाई करने पर मई के अंत पर जून के प्रथम सप्ताह तक फसल पक कर तैयार हो जाती है, यदि देर से बुवाई की जाती है तो पकाने पर बरसात शुरू हो जाती है और दानो का नुकसान हो जाता है, बुवाई लाइनों में हल के पीछे 4 से 5 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिएI लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटी मीटर तथा पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

सूरजमुखी की बुवाई में प्रति हेक्टयर बीज की कितनी मात्रा लगती है, और इनका शोधन हमारे किसान भाई किस प्रकार करे?


बीज की मात्रा अलग अलग पड़ती है, जैसे की संकुल या सामान्य प्रजातियो में 12 से 15 किलो ग्राम प्रति हैक्टर बीज लगता है और संकर प्रजातियो में 5 से 6 किलो ग्राम प्रति हैक्टर बीज लगता है। यदि बीज की जमाव गुणवता 70% से कम हो तो बीज की मात्रा बढ़ाकर बुवाई करना चाहिए, बीज को बुवाई से पहले 2 से 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलो ग्राम बीज को शोधित करना चाहिए। बीज को बुवाई से पहले रात में 12 घंटा भिगोकर सुबह 3 से 4 घंटा छाया में सुखाकर सायं 3 बजे के बाद बुवाई करनी चाहिए।

Surjmukhi Ki Kheti का पोषण प्रबंधन

सूरजमुखी की फसल में उर्वरको का प्रयोग कितनी मात्रा में करनी चाहिए और कब करना चाहिए?

Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

सामान्य उर्वरको का प्रयोग मृदा परिक्षण के आधार पर ही करनी चाहिए फिर भी नत्रजन 80 किलोग्राम, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवम पोटाश 40 किलो ग्राम तत्व के रूप में प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। नत्रजन की आधी मात्रा एवम फास्फोरस व् पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय कुडों में प्रयोग करना चाहिए इसका विशेष ध्यान देना चाहिए शेष नत्रजन की मात्रा बुवाई के 25 या 30 दिन बाद ट्राईफ़ोसीड के रूप में देना चाहिए यदि आलू के बाद फसल ली जाती है तो 20 से 25% उर्वरक की मात्र कम की जा सकती है, आखिरी जुताई में खेत तैयार करते समय 250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद लाभदायक पाया गया है।


Surjmukhi Ki Kheti का जल प्रबंधन

सूरजमुखी की फसल में सिचाई कब और कैसे करनी चाहिए?

पहली सिचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद हल्की या स्प्रिकलर से करनी चाहिए। बाद में आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिचाई करते रहना चाहिए। कुल 5 या 6 सिचाइयो की आवश्यकता पड़ती हैI फूल निकलते समय दाना भरते समय बहुत हल्की सिचाई की आवश्यकता पड़ती हैI जिससे पौधे जमीन में गिरने न पाए क्योकि जब दाना पड जाता है तो सूरजमुखी के फूल के द्वारा बहुत ही पौधे पर वजन आ जाता है जिससे की गिर सकता है।

Surjmukhi Ki Kheti का कीट प्रबंधन

सूरजमुखी की फसल में फसल सुरक्षा हमारे किसान भाई किस प्रकार करें ?

सूरजमुखी में कई प्रकार के कीट लगते है जैसे की दीमक हरे फुदके डसकी बग आदि है। इनके नियंत्रण के लिए कई प्रकार के रसायनो का भी प्रयोग किया जा सकता है। मिथाइल ओडिमेंटान 1 लीटर 25 ई सी या फेन्बलारेट 750 मिली लीटर प्रति हैक्टर 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए।

Surjmukhi Ki Kheti की फसल कटाई

सूरजमुखी की फसल की कटाई और मड़ाई करने का सही समय क्या है कब करनी चाहिए ?

जब सूरजमुखी के बीज कड़े हो जाए तो मुन्डको की कटाई करके या फूलो के कटाई करके एकत्र कर लेना चाहिए तथा इनको छाया में सुख लेना चाहिए इनको ढेर बनाकर नहीं रखना चाहिए इसके बाद डंडे से पिटाई करके बीज निकल लेना चाहिए साथ ही सूरजमुखी थ्रेशर का प्रयोग करना उपयुक्त होता है।

Surjmukhi Ki पैदावार

फसल प्राप्त होने के पश्चात उसका भण्डारण हम किस प्रकार करें?

Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Surjmukhi Ki Kheti Kaise Kare In Hindi 

बीज निकलने के बाद अच्छी तरह सुख लेना चाहिए बीज में 8 से 10% नमी से आधिक नहीं रहनी चाहिए। बीजो से 3 महीने के अन्दर तेल निकल लेना चाहिए अन्यथा तेल में कड़वाहट आ जाती है, अर्थात पारिस्थिकी के अंतर्गत भंडारण किया जा सकता है।

सूरजमुखी की फसल से कितनी पैदावार प्राप्त हो जाती है?

दोनों तरह की प्रजातियों की पैदावार अलग- अलग होती हैI संकुल या सामान्य प्रजातियों की पैदावार 12 से 15 कुन्तल प्रति हैक्टर होती है तथा संकर प्रजातियों की पैदावार 20 से 25 कुन्तल प्रति हैक्टर प्राप्त होती है।

दोस्तों आशा करता हु इस फसल से जुडी सभी जानकारी मिल गई होगी फिर भी किसी प्रकार की समस्या है तो आप हमे कमेंट कर पूछ सकते है। हमे आप की मदद करने में ख़ुशी होगी। 
Tags

Post a Comment

0Comments

Please do not any spam in the comment box.

Post a Comment (0)