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तिल की खेती कैसे करे पूरी जानकारी जाने। Til Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

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तिल की खेती कैसे करे पूरी जानकारी जाने। Til Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

Til Ki Kheti Kaise Kare In Hindi - नमस्कार प्यारे किसान भाई आज की पोस्ट में हम तिल के खेती के बारे में जानकारी शेयर करेंगे। कई बार नए किसान को पता नहीं होता है की Til Ki Kheti Kab Hota Hai और Til Ki Kheti Kaha Hoti Hai सभी जानकारी बताने वाले है। इसी प्रकार खेती की जानकारी के लिए Kheti Business पर बने रहे। 

Til Ki Kheti Kaise Kare In Hindi
Til Ki Kheti Kaise Kare In Hindi

भारत में तिल की खेती पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु,महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवम उत्तर प्रदेश में की जाती है। भारत के कुल उत्पादन 20 प्रतिशत उत्पादन अकेले गुजरात से होता है। उत्तर प्रदेश में तिल की खेती मुख्यतः बुंदेलखंड के राकर भूमि में तथा मिर्जापुर, सोनभद्र, कानपुर, इलाहाबाद, फतेहपुर, आगरा एवम मैनपुरी में शुद्ध एवम मिश्रित रूप से की जाती है। तिल की उत्पादकता बहुत ही कम है सघन पद्धतियाँ अपनाकर उत्पादन बढाया जा सकता है। 

जलवायु और भूमि

तिल की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु और भूमि की आवश्यकता पड़ती है ?

तिल के लिए शीतोषण जलवायु उपयुक्त होती है मुख्यतः बरसात या खरीफ में इसकी खेती की जाती है यह बहुत ही ज्यादा बरसात या सूखा पड़ने पर फसल अच्छी नहीं होती है। इसके लिए हल्की भूमि तथा दोमट भूमि अच्छी होती है। यह फसल पी एच 5.5 से 8.2 तक की भूमि में उगाई जा सकती है। फिर भी यह फसल बलुई दोमट से काली मिट्टी में भी उगाई जाती है।

तिल की प्रमुख प्रजातियाँ

तिल की जो उन्नतशील प्रजातियाँ है उनके बारे में जाने किसान भाईयो को बताईये उन उन्नतशील प्रजातियों के बारे में ?

तिल की कई प्रजातियाँ पाई जाती है जैसे की टाईप 4, टाईप12, टाईप13, टाईप78, शेखर, प्रगति, तरुण, कृष्णा, एवम बी.63 प्रजातियाँ है।

खेत की तैयारी

फसल की तैयारी के लिए अपने खेतों की तैयारी किस प्रकार करनी चाहिए ?

खेत की तैयारी के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके खेत में पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिए। इसके पश्चात ही बुवाई करनी चाहिए। 80 से 100 कुंतल सड़ी गोबर की खाद को आख़िरी जुताई में मिला देना चाहिए।

बीज बुवाई

तिल की फसल में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और बीज का शोधन हमारे किसान भाई किस प्रकार करे ?

एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए तीन से चार किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 2.5 ग्राम थीरम या कैप्टान प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधन करना चाहिए।

तिल की बुवाई किस समय और किस विधी द्वारा करनी चाहिए ?

तिल की बुवाई का उचित समय जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई का दूसरा पखवारा माना जाता है। तिल की बुवाई हल के पीछे लाइन से लाइन 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज को कम गहराई पर करते है।

पोषण प्रबंधन

फसल में खाद एवम उर्वरको का प्रयोग कब करना चाहिए और कितनी मात्रा में करना चाहिए ?

उर्वरको का प्रयोग भूमि परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। 80 से 100 कुंतल सड़ी गोबर की खाद खेत तैयारी करते समय आख़िरी जुताई में मिला देना चाहिए। इसके साथ ही साथ 30 किलोग्राम नत्रजन, 15 किलोग्राम फास्फोरस तथा 25 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। रकार तथा भूड भूमि में 15 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस,पोटाश एवम गंधक की पूरी मात्रा बुवाई के समय बेसल ड्रेसिंग में तथा नत्रजन की आधी मात्रा प्रथम निराई-गुडाई के समय खड़ी फसल में देना चाहिए।

अन्य फसल की जानकारी जाने -

जल प्रबंधन

सिंचाई प्रबंधन तिल की फसल में कब होना चाहिए किस प्रकार होना चाहिए इस बारे में बताईये ?

वर्षा ऋतू की फसल होने के कारण सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती है। यदि पानी न बरसे तो आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। फसल में 50 से 60 प्रतिशत फलत होने पर एक सिंचाई करना आवश्यक है। यदि पानी न बरसे तो सिंचाई करना आवश्यक होता है।


खरपतवार प्रबंधन

तिल की फसल में निराई-गुडाई कब करनी चाहिए और खरपतवारों के नियंत्रण हेतु क्या उपाय करने चाहिए ?

किसान भाईयो प्रथम निराई-गुडाई बुवाई के 15 से 20 दिन बाद दूसरी 30 से 35 दिन बाद करनी चाहिए। निराई-गुडाई करते समय थिनिंग या विरलीकरण करके पौधों के आपस की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर कर देनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण हेतु एलाक्लोर50 ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर बुवाई के बाद दो-तीन दिन के अन्दर प्रयोग करना चाहिए।

रोग प्रबंधन

रोगों पर नियंत्रण हमें कैसे करना चाहिए इस पर जानकारी दे रहे है ?

इसमे तिल की फिलोड़ी अवम फाईटोप्थोरा झुलसा रोग लगते है। फिलोड़ी की रोकथाम के लिए बुवाई के समय कूंड में 10जी. 15 किलोग्राम या मिथायल-ओ-डिमेटान 25 ई.सी 1 लीटर की दर से प्रयोग करना चाहिए तथा फाईटोप्थोरा झुलसा की रोकथाम हेतु 3 किलोग्राम कापर आक्सीक्लोराइड या मैन्कोजेब 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यकतानुसार दो-तीन बार छिडकाव करना चाहिए।

कीट प्रबंधन

कौन-कौन से कीट तिल की फसल में लग सकते है और उनका नियंत्रण हमें किस प्रकार करना चाहिए ?

तिल में पत्ती लपेटक अवम फली बेधक कीट लगते है। इन कीटों की रोकथाम के लिए क्यूनालफास 25 ई.सी. 1.5 लीटर या मिथाइल पैराथियान 2 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से छिडकाव करना चाहिए।

फसल कटाई

तिल की फसल की कटाई एवम मड़ाई का सही समय क्या है कब करनी चाहिए ?

तिल की पत्तियां जब पीली होकर गिरने लगे तथा पत्तियां हरा रंग लिए हुए पीली हो जावे तब समझना चाहिए की फसल पककर तैयार हो गयी है। इसके पश्चात कटाई पेड़ सहित नीचे से करनी चाहिए। कटाई के बाद बण्डल बनाकर खेत में ही जगह जगह पर छोटे-छोटे ढेर में खड़े कर देना चाहिए। जब अच्छी तरह से पौधे सूख जावे तब डंडे छड आदि की सहायता से पौधों को पीटकर या हल्का झाड़कर बीज निकाल लेना चाहिए।

पैदावार

तिल की फसल से लगभग प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार हमें प्राप्त हो जाती है ?

तकनीकी तरीको से खेती करने पर तिल की पैदावार 7 से 8 कुन्तल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। दोस्तों आशा करता हु तिल की खेती से जुडी जानकारी मिल गई होगी। अन्य किसी जानकारी के लिए आप हमे कमेंट करे हम जल्द ही आप को जवाब देंगे। 
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